Tech News: ग्राहकों को गुमराह कर रही डार्क पैटर्न डील को सरकार ने किया बैन। ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन ऐसा कोई कुछ करते पकड़े जाने पर जुर्माना भी लगाया है।
जिस प्रकार एक तरफ टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को आसान बनती है वहीं दूसरी तरफ यह हमारे लिए मुसीबत भी बन जाती है। कुछ समय पहले सरकार ने DeepFake वीडियो पर सख्ती दिखाई थी और अब डार्क पैटर्न पर प्रतिबंध लगा दिया है।
डार्क पैटर्न क्या है
Gadgets Pixel: ई-कॉमर्स वेबसाइट के द्वारा चलाए जा रहे डार्क पैटर्न स्टाइल पर केंद्र सरकार ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए बैन लगाने का फैसला लिया है। क्या आपको पता है कि "डार्क पैटर्न क्या है" और यह किस तरह से अब तक हमे भ्रमित करता आया है? तो आइए आपको डार्क पैटर्न के बारे में साधारण शब्दों में समझाते हैं।
आइए हम डार्क पैटर्न स्टाइल को समझाने की कोशिश करते हैं- ई-कॉमर्स वेबसाइट अपने ग्राहकों को डार्क पैटर्न के जरिए विज्ञापन दिखाकर मजबूर करती हैं। और उन्हें गुमराह करती हैं।
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उदाहरण, आपने भी कई बार नोटिस किया होगा, जब भी आप ऑनलाइन कोई भी समान खरीदने जाते होंगे, तो आपको लिखा मिलता होगा कि कुछ ही आइटम बचे हुए हैं। ये देखकर आप हड़बड़ाहट में उसको तुरंत बुक कर लेते हैं इसे ही डार्क पैटर्न कहा जाता है।
डार्क पैटर्न का इस्तेमाल उपभोक्ताओं को मेन्युप्लेट करने के लिए किया जाता है जिससे वह कंपनी का कोई समान या गैजेट ई-कॉमर्स website पर सर्च करते हैं और उस प्रोडक्ट खरीद लेते हैं।
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ऐसा केरके वे कंपनियाँ 'सेंट्रल कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी' (CCPA) का उल्लंघन करती हैं। लेकिन, सरकार ने कहा- यदि अब कोई इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 के तहत जुर्माना भी लगेगा।
FAQs:
डार्क पैटर्न खराब क्यों हैं?
डार्क पैटर्न ग्राहकों के इरादों को कमजोर करते हैं और उनका वो समय या पैसा खर्च होता हैं जो वे खर्च नहीं करना चाहते।
डार्क पैटर्न कब आया?
"डार्क पैटर्न" शब्द को सबसे पहले 2010 में यूके एक डिजाइनर हैरी ब्रिग्नुल द्वारा चुना गया था।
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